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Showing posts from May, 2025

Wings of Destiny part 25

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कल्पना और गीतिका की मुलाकात होती है मुलाकात कुछ यूं होती है कि आसमान से बर्फ को नीचे गिरना पड़ता है यह बताने के लिए कि ये दोनों कितने अलग हैं इन दोनों के बीच में जब भी यह मिलते हैं तो एक घर्षण पैदा होता है जो इनके अलहदा होने का सबूत दिलाता है अलग होने का बताता है कि ये दोनों कितने अलग हैं तो बर्फ को गिरना पड़ता है यह बताने के लिए चलिए बर्फ तो गिरी ही गिरी लेकिन कर्फ्यू भी लगा दिया है इन्होंने नहीं लगाया तो वहां जितने भी लोग थे वो लोग अपने अपने घर वापस लौटने लगते हैं कल्पना अपनी मर्सी में बैठने से पहले गीतिका को वकल के लिए जद्दोजहद कर दे पाती है तो उसे अपनी मा वाइट मर्सी में बैठने का सौभाग्य देती है कार आगे बढ़ जाती है इन दोनों की मगर कर्फ्यू और बर्फबारी की वजह से रोड्स जो है व जगह-जगह पर रोक दिए गए हैं वहां की आवाजाही को रोक दिया गया है जिससे कल्पना को भी रुकना पड़ता है अब उसका जेट होता तो वो तो आगे निकल जाती लेकिन वाइट मर्सी को आगे जाने की इजाजत नहीं है तो वो उसे वापस मोड़कर एक छोटे से पुराने से कॉटेज में लेकर जाती है जाना वहां पड़ता है उसे और वहां एक छोटा सा रूम लेते हैं यह लोग क्यों...

Wings of Destiny part

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 यह रात गहरी ऊपर से ये बर्फीली हवाएं जो बर्फ के साथ हैं ऊपर से ये कर्फ्यू ऊपर से ये लाइट का गुम हो जाना हाय अजीब कहर है कल्पना के सो जाने कहने पर गीतिका कूदकर इस विंटेज हीटर के पास चली जाती है और वहां जाकर वह कल्पना को अपनी जीप से चढ़ाने लगती है जैसे एक छोटा बच्चा दूसरे बच्चे को चढ़ाता है अब मैं इनका क्या करूं और कैसे करूं कल्पना ने यह कहकर अपने माथे को टैप किया और अपनी आवाज को थोड़ा ऊंचा किया गीतिका के समक्ष अब आपको ठंड नहीं लग रही हां ब्रेनलेस औरत इधर आइए चलिए इधर आइए टाइम वेस्ट मत करिए गीतिका ने अपने होठों के धनुष को टेढ़ कर दिया कल्पना के जवाब में और उसे चिढ़ाने के लिए कूदने लगी मगर कल्पना उसके चेहरे को देखकर मुस्कुरा दी या हस दी थोड़ा सा मुस्कुराहट जब थोड़ी बड़ी हो जाती है तो हंसी में बदल जाती है और फिर से कल्पना ने अपने वर्ड्स कहे देखिए अब मैं कुछ नहीं करूंगी अगर सिमटम्स दोबारा उभरे तो समझ जाइए आप चलिए जल्दी यहां आइए कल्पना ने फिर से कंबल का एक छोर खोलकर गीतिका को अपनी बाह में पुकारा मतलब उस साइड आने के लिए कहा नहीं मैं नहीं आऊंगी आप अब मैं सूरज और अनु से बताऊंगी के उनकी स्क्...

wings of destiny part 24

 अपने मिशन को कंप्लीट कर लेने के बाद पांडा और उसका नेविगेटर पहुंचते हैं जरनाब के घर क्योंकि जरना के फादर ने अभिनव को बुलाया है| जरनाब के फादर एक कर्नल है और पांडा के काम को और उसको वो बहुत सराह दे हैं पसंद करते हैं अभिनव की हालत थोड़ी खस्ता है वहां जाने के लिए वह पहुंच जाते हैं वहां मगर खाली हाथ तो अपने साथी को दुविधा से निकालने के लिए कल्पना अपने कदमों को थोड़ा सा हल्का सा बाहर कर देती है गीतिका वहां थोड़ा सा काम नेहा को देकर अपने किसी काम से बाहर चली जाती है इन दोनों की एक अनचाही मुलाकात फिर हो जाती है और मुलाकात हो और बात ना हो ऐसा कैसे मुमकिन है और बातें ऐसी होती है इन दोनों में कि बात जो है वह कर्फ्यू तक पहुंच जाती है कर्फ्यू लगाने की नौबत आ जाती है इनकी बातों से नहीं बली के हालातों से और मुलाकात कुछ य होती है कि गीतिका अपनी आंखों को फिर से कल्पना की बाहों में खोलती है कल्पना अपनी बाहों को  खोल देती है जिससे  सीधा जमीन पर पड़ती है सख्त जमीन पर और जमीन कितनी सख्त है यह उसे एहसास हो जाता है जब उसकी  पर चोट लगती है तभी इस छोटे से मार्ट में भी अनाउंसमेंट हो जाती है ...

Wings of Destiny Part 23

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पिछला कल्पना उस तरफ चल पड़ी है कि वो य डिसाइड कर चुकी है कि उसे अपने आप से दूर रखना है उन लोगों को जो उनके करीब आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ गीतिका का मन जो है व यूटर्न ले रहा है यूटर्न से भी ज्यादा घूमकर यूटर्न ले रहा है वह खींच रही है कल्पना की शख्सियत की तरफ जो उसे एरोगेंट लगा करती थी रूड लगा करती थी अब उसी शख्स का हाथ बढ़ाना उसके मन को मोह रहा है बैली पिछले टनल हाद से से उभरी ही नहीं थी कि अब ब्लास्ट और इसी पर यह दोनों अपनी अपनी टीम के साथ निकल जाते हैं वही गीतिका और उसके कैमरे की नजर जर्र भर भी ओझल नहीं होती कल्पना से वो काम करने गई है काम तो उसे करना ही होगा दूसरी तरफ कल्पना अपने काम से एक इंच भी नजर नहीं हटाती और यह बात गीतिका को थोड़ा सा टच कर जा चुभ जाती है कल्पना का इग्नोर करना उसे भाता नहीं है उसे परेशान कर जाता है और दोनों यह सब पूरा हो जाने के बाद अपने अपने रूम में जाके एक दूसरे को याद भी करते हैं और एक दूसरे को भूल जाने की कोशिश भी करते हैं एक साथ तो बस यही है पिछले कदमों की कुछ कड़ियां चलिए थोड़ा सा आगे कड़ियों को गिनते हैं बुनते हैं हेलो हां बोल क्या हुआ कल्पना ने सोते ...