Wings of Destiny Part 30

कल्पना के वो शब्द जैसे , गीतिका का दिल चीर रहे थे।उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था।वह अपने कमरे के टेबल पर पड़ी सारी चीजें अपने दोनों हाथों से बिखेर देती है , अपने बेड पर पड़ी पिलोस फेंक देती है , चादर ब्लैंकेट उन्हें उठाकर बेड से नीचे फेंक देती है और उसकी आंखों से पानी गिरता चला जाता है , गिरता चला जाता है। मेरी ही गलती है , मैंने ही , मैंने ही ऐसे बेहीज़ इनसान को अच्छा समझने की गलती की। वह अच्छा समझने लायक नहीं है , यह ...